बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद तैयार की गई ड्राफ्ट लिस्ट में 3 लाख से ज्यादा लोग संदिग्ध पाए गए हैं। इनमें सात जिलों के लोग सबसे ज्यादा शामिल हैं। अब बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) इन संदिग्ध वोटरों को नोटिस जारी करेंगे, जिसके बाद इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ईआरओ) सुनवाई करेंगे। इससे पहले, चुनाव आयोग ने 65.63 लाख लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए थे, जिनमें मृत, पलायन कर चुके, और दोहरे पंजीकरण वाले लोग शामिल थे।
सात जिलों में सबसे ज्यादा संदिग्ध वोटर
चुनाव आयोग की स्क्रूटनी में अब तक किशनगंज, अररिया, सहरसा, मधुबनी, पूर्णिया, कटिहार और पश्चिम चंपारण जैसे सात जिलों में सबसे ज्यादा संदिग्ध वोटर पाए गए हैं। इन जिलों में बीएलओ अब हर संदिग्ध वोटर को नोटिस देकर जवाब मांगेंगे। इस प्रक्रिया में ईआरओ यह तय करेंगे कि इन लोगों का नाम वोटर लिस्ट में रहना चाहिए या नहीं।
चुनाव आयोग ने पहले ही ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से 65.63 लाख नाम हटाए थे। इनमें 22.34 लाख मृत वोटर, 7.01 लाख दोहरे पंजीकरण वाले, और 36.28 लाख ऐसे लोग शामिल थे जो बिहार से स्थायी रूप से पलायन कर चुके हैं या जिनका पता नहीं मिला। इसके अलावा, 1.2 लाख लोगों के फॉर्म बीएलओ के तीन बार घर जाने के बाद भी नहीं मिले।
वोटर लिस्ट में नाम बचाने के लिए क्या करें
अगर आपका नाम संदिग्ध सूची में है, तो आपको अपनी नागरिकता या पहचान साबित करने के लिए 11 मान्य प्रमाण पत्रों में से कोई एक जमा करना होगा। ये प्रमाण पत्र नोटिस का जवाब देने और वोटर लिस्ट में नाम बनाए रखने के लिए जरूरी हैं।
कौन-से प्रमाण पत्र हैं मान्य
चुनाव आयोग ने निम्नलिखित दस्तावेजों को मान्यता दी है:
- केंद्र या राज्य सरकार, सार्वजनिक उपक्रम (पीएसयू) के नियमित कर्मचारी या पेंशनभोगी को जारी पहचान पत्र/पेंशन भुगतान आदेश।
- 1 जुलाई 1987 से पहले जारी कोई भी सरकारी/स्थानीय निकाय/बैंक/डाकघर/एलआईसी/सार्वजनिक उपक्रम का पहचान पत्र या प्रमाणपत्र।
- सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र।
- पासपोर्ट।
- मान्यता प्राप्त बोर्ड या विश्वविद्यालय का मैट्रिक/शैक्षणिक प्रमाण पत्र।
- सक्षम राज्य प्राधिकारी द्वारा जारी स्थायी निवास प्रमाण पत्र।
- वन अधिकार पत्र।
- सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी ओबीसी, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या अन्य जाति प्रमाण पत्र।
- नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर (जहां उपलब्ध हो)।
- राज्य या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा तैयार पारिवारिक रजिस्टर।
- सरकार द्वारा जारी भूमि या मकान आवंटन प्रमाण पत्र।
क्यों जरूरी है यह कार्रवाई
चुनाव आयोग का यह कदम स्वच्छ और सटीक मतदाता सूची सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। दोहरे पंजीकरण, मृत वोटरों और पलायन कर चुके लोगों के नाम हटाकर आयोग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि मतदान प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष हो। संदिग्ध वोटरों की जांच से बिहार की वोटर लिस्ट को और मजबूत किया जाएगा।