वैज्ञानिकों ने मानव रक्त समूहों की सूची में एक नया नाम जोड़ दिया है – ‘ग्वांडा नेगेटिव’। यह खोज फ्रांसीसी शोधकर्ताओं ने की है और इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन (ISBT) ने इसे आधिकारिक तौर पर 48वें ब्लड ग्रुप सिस्टम के रूप में मान्यता दी है। यह खोज न केवल चिकित्सा विज्ञान के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि मानव जाति की आनुवंशिक विविधता को समझने में भी मदद करेगी।
ग्वांडा नेगेटिव की खोज कैसे हुई?
इस असाधारण खोज की शुरुआत 2011 में हुई जब पेरिस में एक महिला की रूटीन ब्लड टेस्टिंग के दौरान एक अज्ञात एंटीबॉडी पाई गई। यह महिला फ्रेंच कैरिबियन क्षेत्र के ग्वाडेलूप द्वीप से थी, जिसके कारण इस नए ब्लड ग्रुप का नाम ‘ग्वांडा नेगेटिव’ रखा गया। वैज्ञानिकों ने इस नमूने को संरक्षित किया और 2019 में उन्नत डीएनए सीक्वेंसिंग तकनीक की मदद से इसका गहन विश्लेषण किया।
ग्वांडा नेगेटिव क्यों है खास?
- यह दुनिया का पहला ऐसा ब्लड ग्रुप है जिसमें एक विशिष्ट आनुवंशिक उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) पाया गया है।
- अब तक केवल एक ही व्यक्ति (वह महिला) में इस ब्लड ग्रुप की पहचान हुई है।
- यह रक्त समूह एबीओ या आरएच सिस्टम से अलग है और इसकी संरचना पूरी तरह से नई है।
- इसकी खोज से रक्ताधान (ब्लड ट्रांसफ्यूजन) और अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में नए प्रोटोकॉल विकसित करने में मदद मिलेगी।
आम लोगों के लिए इसका क्या महत्व है?
- सुरक्षित ब्लड ट्रांसफ्यूजन: गलत ब्लड ग्रुप का ट्रांसफ्यूजन जानलेवा हो सकता है। इस खोज से डॉक्टरों को दुर्लभ ब्लड ग्रुप वाले मरीजों का बेहतर इलाज करने में मदद मिलेगी।
- जेनेटिक रिसर्च को बढ़ावा: यह खोज मानव आनुवंशिकी के रहस्यों को समझने में नई दिशा देगी।
- दुर्लभ ब्लड बैंकों का विकास: भविष्य में ग्वांडा नेगेटिव जैसे दुर्लभ ब्लड ग्रुप्स को संरक्षित करने के लिए विशेष ब्लड बैंक बनाए जा सकते हैं।
ब्लड ग्रुप सिस्टम: एक संक्षिप्त जानकारी
- अब तक 48 ब्लड ग्रुप सिस्टम मान्यता प्राप्त हैं, जिनमें एबीओ और आरएच सबसे प्रसिद्ध हैं।
- ‘बॉम्बे ब्लड ग्रुप’ (Hh) जैसे दुर्लभ समूह भी होते हैं, जो भारत में 10,000 में से केवल 1 व्यक्ति में पाया जाता है।
- ग्वांडा नेगेटिव की तरह नए ब्लड ग्रुप्स की खोज चिकित्सा विज्ञान को और अधिक सटीक बनाने में मदद करती है।
निष्कर्ष
ग्वांडा नेगेटिव की खोज मेडिकल साइंस में एक बड़ी उपलब्धि है। यह न केवल रक्ताधान विज्ञान को बेहतर बनाएगी, बल्कि भविष्य में जीन-आधारित उपचारों को भी गति देगी। जैसे-जैसे विज्ञान आगे बढ़ेगा, ऐसी और भी खोजें सामने आएंगी, जो मानव स्वास्थ्य के लिए वरदान साबित होंगी।