ऑपरेशन सिंदूर, जो 7 मई 2025 को शुरू हुआ, भारत की सैन्य रणनीति में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हुआ। इस ऑपरेशन में भारतीय वायु सेना (IAF) ने न केवल पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, बल्कि उनके सैन्य अड्डों और हवाई रक्षा प्रणालियों को भी प्रभावी ढंग से निष्क्रिय कर दिया। इस सफलता का सबसे बड़ा रहस्य था भारत की उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (EW) रणनीति और एक्स-गार्ड जैसे उपकरणों का उपयोग, जिसने पाकिस्तान की चीनी निर्मित J10C रडार और PL-15 मिसाइलों को पूरी तरह से भ्रमित कर दिया। अमेरिकी सैन्य विशेषज्ञ और पूर्व F-16 पायलट रायन बॉर्डन हाईमर ने इसे युद्ध में एक अभूतपूर्व उपलब्धि बताया है। यह लेख ऑपरेशन सिंदूर में भारत की इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर रणनीति और इसके वैश्विक प्रभावों पर प्रकाश डालता है।
ऑपरेशन सिंदूर का अवलोकन
ऑपरेशन सिंदूर को 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे। भारत ने 7 मई को आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, और हिजबुल मुजाहिदीन के 9 ठिकानों पर हमले किए। इसके बाद, 8-10 मई के बीच भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के 11 सैन्य हवाई अड्डों, जैसे नूर खान, रफीकी, मुरिद, सुक्कुर, सियालकोट, पासरूर, चुनियान, सरगोधा, स्कर्दू, भोलारी, और जैकोबाबाद पर सटीक हमले किए। इन हमलों में 20% पाकिस्तानी वायु सेना की बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया गया और 50 से अधिक सैन्य कर्मी मारे गए।
इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर: भारत का गेम-चेंजर
ऑपरेशन सिंदूर की सबसे उल्लेखनीय विशेषता थी भारत की इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर रणनीति, जिसने पाकिस्तान की हवाई रक्षा प्रणालियों को पूरी तरह से नाकाम कर दिया। अमेरिकी विशेषज्ञ रायन बॉर्डन हाईमर ने कहा कि भारत ने पहली बार युद्ध में ऐसी तकनीक का उपयोग किया, जिसने पाकिस्तान के रडार और मिसाइल सिस्टम को भ्रमित कर दिया। इस रणनीति का केंद्र था एक्स-गार्ड, एक इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर उपकरण, जिसे इजरायली कंपनी राफेल (RAFAEL) ने विकसित किया है।
एक्स-गार्ड: तकनीकी चमत्कार
एक्स-गार्ड एक ऐसा उपकरण है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल्स का उपयोग करके दुश्मन के रडार और मिसाइलों को भ्रमित करता है। यह 30 किलोग्राम का उपकरण फाइबर ऑप्टिक केबल के माध्यम से फाइटर जेट के साथ जुड़ा होता है और 100 मीटर की दूरी पर लटकता हुआ उड़ता है। यह उपकरण फाइटर जेट जैसे इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल्स उत्पन्न करता है, जिससे दुश्मन के रडार को लगता है कि यह वास्तविक जेट है। जब रडार इस सिग्नल को पकड़ता है, तो मिसाइलें इस “नकली लक्ष्य” पर लॉक होकर हमला करती हैं, जबकि वास्तविक फाइटर जेट सुरक्षित रहता है।
- कैसे काम करता है एक्स-गार्ड?
- एक्स-गार्ड को फाइटर जेट (जैसे राफेल या सुखोई Su-30 MKI) के साथ जोड़ा जाता है।
- यह 100 मीटर लंबी फाइबर ऑप्टिक केबल के जरिए जेट से जुड़ा रहता है और उड़ान के दौरान पीछे लटकता है।
- यह AI-आधारित सिग्नल्स उत्पन्न करता है, जो रडार को फाइटर जेट का भ्रम देता है।
- दुश्मन का रडार और मिसाइल सिस्टम इस सिग्नल पर लॉक होकर हमला करता है, जिससे मिसाइलें एक्स-गार्ड को निशाना बनाती हैं, और असली जेट सुरक्षित रहकर हमला करता है।
इस तकनीक ने पाकिस्तान के चीनी निर्मित J10C रडार और PL-15 मिसाइलों को पूरी तरह से बेकार कर दिया। पाकिस्तानी रडार ने भारतीय जेट्स को पकड़ा, मिसाइलों ने लक्ष्य लॉक किया, और मिसाइलें दागी भी गईं, लेकिन वे एक्स-गार्ड के नकली सिग्नल्स पर जाकर फट गईं। इस दौरान भारतीय राफेल और Su-30 MKI जेट्स ने सटीक हमले कर पाकिस्तानी हवाई अड्डों को तबाह कर दिया।
पाकिस्तान की हवाई रक्षा की विफलता
पाकिस्तान की हवाई रक्षा प्रणाली में चीनी J10C रडार और PL-15 मिसाइलें शामिल थीं, जिन्हें चीन ने अत्यधिक उन्नत बताया था। हालांकि, ऑपरेशन सिंदूर में ये सिस्टम पूरी तरह से विफल रहे। भारत ने 23 मिनट के भीतर पाकिस्तान की हवाई रक्षा को जाम कर दिया, जिससे उनके रडार और मिसाइल सिस्टम भारतीय जेट्स को ट्रैक नहीं कर पाए।
- पाकिस्तान की गलती: पाकिस्तानी रडार ने एक्स-गार्ड के सिग्नल्स को वास्तविक फाइटर जेट समझ लिया और मिसाइलें दाग दीं, जो नकली लक्ष्य पर जाकर नष्ट हो गईं।
- भारत की रणनीति: भारतीय वायु सेना ने राफेल जेट्स, SCALP मिसाइलों, और स्वदेशी अकाश्तीर प्रणाली का उपयोग किया, जो एकीकृत हवाई रक्षा और कमांड-कंट्रोल सिस्टम (IACCS) का हिस्सा है। इसने पाकिस्तानी ड्रोन्स और मिसाइलों को भी निष्क्रिय कर दिया।
वैश्विक विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
अमेरिकी सैन्य विशेषज्ञ रायन बॉर्डन हाईमर ने कहा कि भारत की यह रणनीति युद्ध के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ती है। उन्होंने इसे “तकनीकी वर्चस्व की लड़ाई” बताया, जिसमें भारत ने न केवल पारंपरिक हथियारों का उपयोग किया, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक और साइबर युद्ध में भी अपनी श्रेष्ठता साबित की।
- कर्नल जॉन स्पेंसर (मॉडर्न वॉर इंस्टीट्यूट, वेस्ट पॉइंट) ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर एक रणनीतिक संदेश था कि भारत अब केवल सैन्य ताकत में ही नहीं, बल्कि तकनीकी क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर है।
- लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह (भारतीय सेना के डिप्टी चीफ) ने ऑपरेशन सिंदूर को एक सीखने का अवसर बताया, जिसने भारत की सैन्य और तकनीकी क्षमताओं को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित किया।
तकनीकी और रणनीतिक प्रभाव
ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल पाकिस्तान की सैन्य क्षमताओं को कमजोर किया, बल्कि भारत की स्वदेशी तकनीकों, जैसे अकाश्तीर, ब्रह्मोस मिसाइल, और D4 CUAS (काउंटर-यूएएस सिस्टम), को भी वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाई। इस ऑपरेशन ने दिखाया कि भारत अब साइबर, अंतरिक्ष, और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध जैसे नए युद्ध क्षेत्रों में भी सक्षम है।
- पाकिस्तान के नुकसान:
- 11 हवाई अड्डों (नूर खान, भोलारी, सरगोधा, आदि) पर भारी क्षति।
- 20% पाकिस्तानी वायु सेना की बुनियादी ढांचे का नुकसान।
- 6 फाइटर जेट्स, 2 निगरानी विमान, और 1 C-130 सैन्य परिवहन विमान नष्ट।
- 50 से अधिक सैन्य कर्मी, जिसमें स्क्वाड्रन लीडर उस्मान यूसुफ शामिल, मारे गए।
- भारत की उपलब्धियां:
- 23 मिनट में पाकिस्तान की हवाई रक्षा को जाम करना।
- कोई भारतीय विमान या संपत्ति का नुकसान नहीं।
- आतंकी ठिकानों और सैन्य अड्डों पर सटीक हमले।
भारत की आत्मनिर्भरता
ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की “मेक इन इंडिया” पहल को मजबूती दी। स्वदेशी अकाश्तीर प्रणाली ने सैकड़ों पाकिस्तानी ड्रोन्स और मिसाइलों को नष्ट किया, जबकि ब्रह्मोस मिसाइलों ने आतंकी ठिकानों को सटीकता से नष्ट किया। यह ऑपरेशन भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता और वैश्विक रक्षा बाजार में उसकी स्थिति को मजबूत करने का प्रतीक बन गया।
निष्कर्ष
ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और AI-आधारित तकनीकों, जैसे एक्स-गार्ड, का उपयोग कर एक ऐसी रणनीति अपनाई, जिसने पाकिस्तान की हवाई रक्षा को पूरी तरह से नाकाम कर दिया। यह युद्ध में तकनीकी श्रेष्ठता और रणनीतिक चतुराई का एक अनूठा उदाहरण है, जिसे वैश्विक सैन्य विशेषज्ञ अब अध्ययन कर रहे हैं। हालांकि, यह सवाल उठता है कि क्या ऐसी तकनीकें भविष्य में युद्ध को और जटिल बना देंगी? भारत की इस सफलता ने न केवल पाकिस्तान को एक कड़ा संदेश दिया, बल्कि दुनिया को यह भी दिखाया कि वह अब एक तकनीकी और सैन्य महाशक्ति बन चुका है। आप इस तकनीकी क्रांति के बारे में क्या सोचते हैं? अपनी राय साझा करें।