भारतीय सेना ने एक बार फिर तकनीक के क्षेत्र में अपनी ताकत दिखाई है! सेना ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर आधारित एक अनोखे ऑटोमैटिक टारगेट क्लासिफाइंग सिस्टम का पेटेंट हासिल कर लिया है। इस सिस्टम को कर्नल कुलदीप यादव ने अपनी इन-हाउस रिसर्च के जरिए विकसित किया है। यह तकनीक रडार पर दुश्मन के टारगेट्स को बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के पहचान और वर्गीकृत कर सकती है, जिससे सेना की ऑपरेशनल ताकत कई गुना बढ़ जाएगी।
यह सिस्टम कैसे करता है काम
यह AI आधारित सिस्टम सेंसर और एडवांस्ड एल्गोरिदम का इस्तेमाल करके रियल-टाइम डेटा जैसे इमेज और रडार सिग्नल को स्कैन करता है। इसके बाद यह डेटा को डेटाबेस से मिलाकर तेजी से टारगेट्स की पहचान करता है। इंसानों की तुलना में यह सिस्टम कहीं ज्यादा तेज और सटीक है। इसकी खासियत इसे मिसाइल गाइडेंस और अन्य रक्षा कार्यों में बेहद उपयोगी बनाती है। चाहे युद्ध का मैदान हो या जटिल मिशन, यह तकनीक सेना को तेज और सटीक निर्णय लेने में मदद करेगी।
आत्मनिर्भर भारत की ओर मजबूत कदम
भारतीय सेना ने अपने आधिकारिक X पोस्ट में कहा, “कर्नल कुलदीप यादव की यह इनोवेशन सेना की तकनीकी ताकत और आत्मनिर्भर भारत मिशन के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।” यह सिस्टम न सिर्फ सेना की ताकत बढ़ाएगा, बल्कि भारत को रक्षा तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में भी बड़ा योगदान देगा।
कर्नल कुलदीप यादव की एक और उपलब्धि
यह पहली बार नहीं है जब कर्नल कुलदीप यादव ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। इससे पहले 2023 में उन्हें AI आधारित एक्सीडेंट प्रिवेंशन सिस्टम के लिए पेटेंट मिल चुका है। यह सिस्टम ड्राइवर की थकान या नींद को पहचानकर तुरंत अलर्ट करता है, जिससे सड़क हादसों को रोकने में मदद मिलती है। इस पेटेंट की वैधता 20 साल तक है, और यह तकनीक सड़क सुरक्षा को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभा रही है।
यह पेटेंट भारतीय सेना की इनोवेशन और तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। कर्नल यादव का यह आविष्कार न सिर्फ युद्ध के मैदान में तेजी लाएगा, बल्कि भारत को वैश्विक रक्षा तकनीक के क्षेत्र में भी मजबूत स्थिति में लाएगा।
