परिचय: ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट (GNIP)
ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट (GNIP) भारत का एक मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है, जो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के सबसे दक्षिणी छोर, ग्रेट निकोबार द्वीप पर विकसित किया जा रहा है। यह परियोजना सामरिक, आर्थिक, और पर्यटन विकास के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन पर्यावरणीय और जनजातीय चिंताओं के कारण विवादों में भी घिरी हुई है। हाल ही में, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) ने इस परियोजना से संबंधित सूचनाएं देने से इनकार कर दिया, जिसने इसे और चर्चा में ला दिया। इस लेख में हम प्रोजेक्ट के महत्व, नवीनतम घटनाक्रम, पर्यावरणीय और जनजातीय चुनौतियों, और इसके भविष्य पर चर्चा करेंगे।
हालिया विवाद: NCST का RTI जवाब
- RTI अनुरोध: एक PTI पत्रकार ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत NCST से निम्नलिखित जानकारियां मांगी थीं:
- 1 जनवरी 2022 के बाद GNIP से संबंधित सभी बैठकों के मिनट्स ऑफ मीटिंग।
- जनजातीय कार्य मंत्रालय और NCST के बीच संचार, विशेष रूप से शमपेन और अन्य जनजातियों पर प्रोजेक्ट के प्रभाव के बारे में।
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) और NCST के बीच गांवों को टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र से विस्थापन के संबंध में संचार।
- NCST का जवाब: NCST ने सूचना देने से इनकार कर दिया, जिसके लिए निम्नलिखित आधार दिए गए:
- संवैधानिक प्रावधान (अनुच्छेद 338A): NCST ने कहा कि वह अपनी वार्षिक रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है, जो संसद में प्रस्तुत की जाती है। इसलिए, वह RTI के तहत सूचना देने के लिए बाध्य नहीं है।
- RTI अधिनियम की धारा 8: इस धारा के तहत, कुछ विशेष परिस्थितियों में (जैसे संसदीय विशेषाधिकार का हनन, जांच में बाधा, या किसी की सुरक्षा को खतरा) सरकारी प्राधिकरण सूचना देने से मना कर सकते हैं।
- वेबसाइट रेफरल: NCST ने सुझाव दिया कि उनकी वेबसाइट (ncst.nic.in) पर मिनट्स ऑफ मीटिंग उपलब्ध हैं, लेकिन अप्रैल 2021 के बाद कोई अपडेट नहीं है, जिससे यह जवाब अपर्याप्त माना गया।
- प्रथम अपीलीय प्राधिकरण: RTI अपील पर, NCST ने फिर अनुच्छेद 338A और धारा 8 का हवाला देकर सूचना देने से इनकार किया।
- X पर प्रतिक्रिया: X पर कई यूजर्स ने NCST की पारदर्शिता की कमी की आलोचना की। एक यूजर ने लिखा, “GNIP जैसे मेगा प्रोजेक्ट में जनजातियों और पर्यावरण पर प्रभाव की जानकारी छिपाना गलत है।” एक अन्य ने कहा, “NCST को जवाबदेही दिखानी चाहिए।”
ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट का अवलोकन
- प्रारंभ: नीति आयोग की सिफारिश पर 2021 में शुरू, 2022 में पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी प्राप्त।
- लक्ष्य: ग्रेट निकोबार द्वीप का समग्र विकास, जिसमें सामरिक, आर्थिक, और पर्यटन पहलू शामिल हैं। परियोजना को 30 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से पूरा करने की योजना है।
- प्रमुख घटक:
- अंतरराष्ट्रीय ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल: गैलेथिया खाड़ी में एक ट्रांसशिपमेंट पोर्ट, जो कार्गो को एक जहाज से दूसरे में स्थानांतरित करने की सुविधा प्रदान करेगा। यह मलक्का, सुंडा, और लोम्बोक स्ट्रेट्स के निकट होने के कारण वैश्विक समुद्री व्यापार में भारत की स्थिति को मजबूत करेगा।
- ग्रीनफील्ड अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा: स्क्रैच से निर्मित हवाई अड्डा, जो सामरिक और वाणिज्यिक उड़ानों की सुविधा प्रदान करेगा।
- टाउनशिप विकास: एक नई टाउनशिप, जो आधुनिक बुनियादी ढांचे और आवास प्रदान करेगी।
- पावर प्लांट: गैस और सौर ऊर्जा पर आधारित एक ऊर्जा संयंत्र।
- पर्यटन परियोजना: पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इको-टूरिज्म और अन्य सुविधाएं।
- नोट: परमाणु ऊर्जा संयंत्र इस प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं है।
सामरिक महत्व
- भौगोलिक स्थिति: ग्रेट निकोबार द्वीप भारत का सबसे दक्षिणी बिंदु (इंदिरा पॉइंट) है, जो मलक्का स्ट्रेट से 90 मील, म्यांमार के कोको द्वीप से 55 किमी, श्रीलंका और इंडोनेशिया से लगभग 160 किमी दूर है। यह हिंद महासागर और प्रशांत महासागर को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण सामरिक बिंदु है।
- चीन को काउंटर: चीन की विस्तारवादी नीतियां, विशेष रूप से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उसकी नौसैनिक गतिविधियां (जैसे म्यांमार के कोको द्वीप पर सैन्य सुविधाएं), भारत के लिए चुनौती हैं। GNIP से भारत सैन्य अड्डे, युद्धपोतों, मिसाइल उपकरणों, और सैनिकों की तैनाती को मजबूत कर सकता है।
- समुद्री व्यापार: मलक्का स्ट्रेट विश्व का सबसे व्यस्त जलमार्ग है। ट्रांसशिपमेंट पोर्ट भारत को क्षेत्रीय और वैश्विक समुद्री अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख खिलाड़ी बना सकता है।
- अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण: म्यांमार और अन्य पड़ोसी देशों के मछुआरों द्वारा अवैध शिकार और तस्करी पर अंकुश लगेगा।
पर्यावरणीय और जनजातीय चिंताएं
- पर्यावरणीय प्रभाव:
- वनों की कटाई: प्रोजेक्ट के लिए 1375 हेक्टेयर वन भूमि (द्वीप के 15% क्षेत्र) को साफ करना होगा, जिसमें लगभग 10 लाख पेड़ काटे जाएंगे।
- प्रवाल भित्तियां: गैलेथिया खाड़ी में प्रस्तावित बंदरगाह प्रवाल भित्तियों को नष्ट कर सकता है, जो पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- विलुप्तप्राय प्रजातियां: गैलेथिया खाड़ी में लेदरबैक कछुए, निकोबार मेगापोड पक्षी, और अन्य प्रजातियों को खतरा है।
- भूकंपीय जोखिम: यह क्षेत्र भूकंपीय रूप से सक्रिय है। 2004 में 9.2 तीव्रता का भूकंप और सुनामी यहां आ चुकी है, जिससे बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर विकास जोखिम भरा है।
- जनजातीय प्रभाव:
- शमपेन जनजाति: यह विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) है, जिसकी आबादी केवल 250-300 है। ये लोग बाहरी संपर्क से अत्यधिक संवेदनशील हैं, और प्रोजेक्ट से उनकी संस्कृति और अस्तित्व को खतरा है।
- निकोबारी जनजाति: 1094 निकोबारी लोग 751 वर्ग किमी के जनजातीय अभयारण्य में रहते हैं। इनका विस्थापन और बाहरी प्रभाव उनकी जीवनशैली को नष्ट कर सकता है।
- वन अधिकार अधिनियम (2006): यह अधिनियम शमपेन जनजाति को उनके क्षेत्र में संरक्षण प्रदान करता है। प्रोजेक्ट इस अधिनियम का उल्लंघन कर सकता है।
- विस्थापन: टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र से गांवों को विस्थापित करने की योजना है, जिससे स्थानीय समुदायों पर सामाजिक और आर्थिक प्रभाव पड़ेगा।
प्रोजेक्ट की प्रगति और चुनौतियां
- प्रगति:
- 2021: नीति आयोग की सिफारिश पर प्रोजेक्ट शुरू।
- 2022: पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी।
- वर्तमान: गैलेथिया खाड़ी में ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल, ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा, और टाउनशिप के लिए प्रारंभिक कार्य शुरू।
- चुनौतियां:
- पारदर्शिता की कमी: NCST द्वारा RTI जवाबों से इनकार ने संदेह बढ़ाया है।
- पर्यावरणीय विरोध: पर्यावरण कार्यकर्ता इसे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा मानते हैं। गैलेथिया खाड़ी और कैंपबेल बे नेशनल पार्क जैसे संवेदनशील क्षेत्र प्रभावित होंगे।
- जनजातीय विरोध: शमपेन और निकोबारी जनजातियों के लिए काम करने वाले संगठन प्रोजेक्ट को उनकी संस्कृति और अस्तित्व के लिए खतरा मानते हैं।
- कानूनी बाधाएं: वन अधिकार अधिनियम और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (1986) के उल्लंघन का जोखिम।
- भूकंपीय जोखिम: क्षेत्र की भूकंपीय अस्थिरता बड़े पैमाने पर निर्माण के लिए खतरा है।
जनता की राय
- X पर कुछ यूजर्स ने GNIP को भारत की सामरिक शक्ति बढ़ाने के लिए जरूरी बताया, जैसे: “चीन की नौसैनिक गतिविधियों को रोकने के लिए GNIP जरूरी है। मलक्का स्ट्रेट में भारत की उपस्थिति बढ़ेगी।”
- अन्य ने पर्यावरण और जनजातियों पर प्रभाव की चिंता जताई: “10 लाख पेड़ काटना और शमपेन जनजाति को खतरे में डालना सही नहीं। क्या विकास का यही तरीका है?”
- कुछ ने NCST की पारदर्शिता की कमी पर सवाल उठाए: “RTI में जवाब क्यों नहीं? सरकार को जनता को सच बताना चाहिए।”
सामरिक महत्व बनाम पर्यावरणीय और जनजातीय लागत
ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट भारत के सामरिक और आर्थिक हितों के लिए महत्वपूर्ण है। यह मलक्का स्ट्रेट के पास भारत की स्थिति को मजबूत करेगा, चीन की विस्तारवादी नीतियों का मुकाबला करेगा, और समुद्री व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाएगा। हालांकि, पर्यावरणीय क्षति (10 लाख पेड़ों की कटाई, प्रवाल भित्तियों का विनाश) और जनजातीय समुदायों (शमपेन और निकोबारी) पर प्रभाव गंभीर चिंताएं हैं। NCST द्वारा RTI जवाबों से इनकार ने प्रोजेक्ट की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं।
