ऑपरेशन सिंदूर के बाद एक बात स्पष्ट हो गई कि भारत ने पाकिस्तान के प्रति अपनी रणनीति में कड़ा रुख अपनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ संदेश दिया था कि पाकिस्तान अपने कृत्यों से बचकर नहीं निकल पाएगा। हालांकि, भारत ने सीधे सैन्य टकराव से बचने का फैसला किया, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह पाकिस्तान पर दबाव बनाना बंद कर देगा।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद लिखा था कि “हवाई युद्ध तो खत्म हो चुका है, लेकिन जल युद्ध शुरू हो गया है।” आज भारत और पाकिस्तान के बीच पानी को लेकर तनाव इतना बढ़ गया है कि पाकिस्तान ने भारत को चेतावनी दी है कि अगर भारत ने पानी रोका तो इसे युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा।
पाकिस्तान की बेचैनी का कारण
पाकिस्तान आज पानी की किल्लत से जूझ रहा है। गर्मी अपने चरम पर है और खरीफ का सीजन चल रहा है, जो कृषि के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। भारत ने इंडस वाटर ट्रीटी के तहत पाकिस्तान को जाने वाले पानी को रोकना और डायवर्ट करना शुरू कर दिया है। पहले जहां 100 यूनिट पानी पाकिस्तान जाता था, वह अब घटकर मात्र 20-30 यूनिट रह गया है। इससे पाकिस्तान के बांधों का जल स्तर खतरनाक स्तर तक गिर चुका है।
इंडस वाटर ट्रीटी का संकट
भारत-पाकिस्तान के बीच 1947 से ही तनाव रहा है, लेकिन इंडस वाटर ट्रीटी (1960) एकमात्र ऐसा समझौता था जो लगातार काम कर रहा था। हालांकि, पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने इस समझौते को निलंबित कर दिया। अब भारत न केवल पानी को रोक रहा है, बल्कि इसे अन्य नदियों की ओर मोड़ भी रहा है।
पाकिस्तान के बांधों की हालत
पाकिस्तान के बांधों में पानी का स्तर “डेड लेवल” तक पहुंच चुका है, यानी भंडारण क्षमता लगभग खत्म हो चुकी है। चेनाब नदी में पहले जहां 58,200 क्यूसेक पानी भारत से पाकिस्तान जाता था, वह अब घटकर 7,200 क्यूसेक रह गया है। इसी तरह, झेलम और इंडस नदियों के प्रवाह में भी भारी कमी आई है।
भारत की ग्रैंड वाटर स्ट्रैटेजी
भारत अब इंडस नदी के पानी को सतलज नदी से जोड़ने की योजना बना रहा है। इसके लिए 200 किलोमीटर लंबी नहर और 12 बड़ी सुरंगों का निर्माण किया जाएगा। इससे इंडस का पानी सतलज के माध्यम से यमुना नदी और इंदिरा गांधी नहर तक पहुंचेगा। इस योजना से जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में पानी की कमी दूर होगी।
पाकिस्तान की धमकियां और भारत का जवाब
पाकिस्तान ने कहा है कि पानी रोकना “युद्ध की कार्रवाई” होगी और वह अपने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल भी कर सकता है। हालांकि, भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इंडस वाटर ट्रीटी को फिर से सक्रिय करने का इरादा नहीं रखता। विश्व बैंक ने भी पाकिस्तान को साफ कह दिया है कि वह भारत को इस समझौते को लागू करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता।
निष्कर्ष
भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि अब पानी की रोकथाम खत्म नहीं होगी। यह रणनीति न केवल पाकिस्तान को आर्थिक रूप से कमजोर करेगी, बल्कि उसकी जनता को भी सरकार के खिलाफ खड़ा कर सकती है। भारत का मानना है कि पाकिस्तान को अपनी आंतरिक समस्याओं का समाधान करना चाहिए, न कि भारत को धमकियां देनी चाहिए।