दिल्ली क्राइम ब्रांच ने एक बड़े अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करी रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जो थाईलैंड से ड्रग्स लाकर दिल्ली-एनसीआर में सप्लाई करता था। इस ऑपरेशन में छह तस्करों को गिरफ्तार किया गया है और उनके पास से 5.737 किलोग्राम गांजा, तीन कारें और दो पासपोर्ट बरामद किए गए हैं। यह गिरोह बैंकॉक से ड्रग्स मंगवाकर ऊंचे दामों पर बेचता था। पुलिस अब इस नेटवर्क से जुड़े बाकी आरोपियों की तलाश में जुट गई है।
थाईलैंड-दुबई से जुड़ा ड्रग नेटवर्क
यह गिरोह थाईलैंड और दुबई से ड्रग्स की तस्करी करता था। बैंकॉक से ओजी गांजा मंगवाकर इसे दिल्ली-एनसीआर में 6-7 लाख रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत पर बेचा जाता था। गिरोह का मुख्य सरगना अनिल कुमार और उसका सहयोगी ईशान इस नेटवर्क को ऑपरेट करते थे।
गिरफ्तार किए गए तस्करों की पहचान तिलक नगर के मेहराज खान, निलोठी (पश्चिमी दिल्ली) के प्रताप सिंह, यूपी के आजमगढ़ के अनिल कुमार सिंह, चंदर विहार के सुरजीत सिंह, हरप्रीत सिंह और निहाल विहार के राजवंत सिंह के रूप में हुई है।
क्राइम ब्रांच की कार्रवाई
दिल्ली क्राइम ब्रांच के डीसीपी हर्ष इंदौरा ने बताया कि 26 अगस्त को हेड कांस्टेबल दिनेश को गुप्त सूचना मिली थी। इसके आधार पर एसीपी सतेंद्र मोहन की निगरानी और इंस्पेक्टर अखिलेश की अगुवाई में क्राइम ब्रांच की टीम ने केशवपुर मंडी के गोल्डन मेंशन होटल के पास से दो कारों में 3.708 किलोग्राम ओजी गांजा बरामद किया। इस दौरान प्रताप सिंह और मेहराज खान को गिरफ्तार किया गया।
पूछताछ में इन दोनों ने मुख्य आरोपी अनिल कुमार का नाम बताया। 1 सितंबर को अनिल को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया। उसकी निशानदेही पर आजमगढ़ में उसके गांव से एक कार में 2.029 किलोग्राम गांजा बरामद हुआ। इसके बाद 3 सितंबर को चंदर विहार से हरप्रीत सिंह, राजवंत सिंह और सुरजीत सिंह को भी गिरफ्तार किया गया। इन लोगों ने बताया कि वे ईशान के निर्देशों पर काम करते थे, जो थाईलैंड से ड्रग्स मंगवाने का मास्टरमाइंड है।
1.5 लाख का गांजा 6-7 लाख में बेचा
पुलिस के मुताबिक, यह गिरोह थाईलैंड से 1.5 लाख रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत पर ओजी गांजा खरीदता था और भारत में इसे 6-7 लाख रुपये प्रति किलोग्राम में बेचता था। अनिल कुमार और दुबई में मौजूद ईशान इस नेटवर्क को चलाते थे। अनिल अपने साथियों मेहराज खान और प्रताप सिंह के साथ मिलकर ड्रग्स की सप्लाई का इंतजाम करता था।
यह गिरोह विदेश यात्राओं और कमीशन का लालच देकर वाहकों को भर्ती करता था। सुरजीत सिंह और प्रताप सिंह वाहकों को टिकट और पर्यटन की सुविधाएं उपलब्ध कराते थे। बैंकॉक में स्थानीय सप्लायर गांजे के सीलबंद पैकेट वाहकों को सौंपते थे, जिन्हें भारत लाकर मेहराज और प्रताप को दिया जाता था। इसके बाद दिल्ली-एनसीआर में वितरण एजेंटों के जरिए ड्रग्स की सप्लाई होती थी। यह पूरा नेटवर्क इतना व्यवस्थित था कि तस्करी, परिवहन और बिक्री की पूरी प्रक्रिया सुरक्षित रहती थी।
पुलिस की नजर अब बाकी आरोपियों पर
क्राइम ब्रांच अब इस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में है। पुलिस का कहना है कि यह एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क है और इसमें कई और लोग शामिल हो सकते हैं। इस ऑपरेशन से दिल्ली-एनसीआर में ड्रग तस्करी पर बड़ी चोट पहुंची है।
