भूटान, जिसे दुनिया के सबसे गरीब देशों में गिना जाता है, वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स में भारत से काफी आगे है। यह छोटा सा हिमालयी देश अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और शांतिपूर्ण जीवनशैली के लिए जाना जाता है। लेकिन अब भूटान एक नई वजह से चर्चा में है – क्रिप्टोकरेंसी। इस देश ने अपनी हाइड्रो पावर का इस्तेमाल करके बिटकॉइन माइनिंग में बड़ी सफलता हासिल की है और दुनिया के सामने एक अनोखा उदाहरण पेश किया है।
कोविड काल में आया बड़ा बदलाव
साल 2020 में जब पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी से जूझ रही थी, तब भूटान को भारी आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। यहां की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पर्यटन पर निर्भर है, और लॉकडाउन के कारण टूरिज्म पूरी तरह ठप हो गया। इस संकट के बीच भूटान के राजा ने एक साहसिक फैसला लिया। उन्होंने देश में उत्पादित होने वाली सस्ती हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर को क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग में लगाने का निर्णय किया।
हाइड्रो पावर से बिटकॉइन तक का सफर
भूटान की नदियों से उत्पन्न होने वाली बिजली का उपयोग अब भारत को बेचने के बजाय बिटकॉइन माइनिंग में किया जाने लगा। वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, भूटान ने इस रणनीति से बड़ा लाभ कमाया। आज भूटान के पास लगभग 12,000 बिटकॉइन हैं, जो उसकी कुल GDP का 40% हैं। यह संख्या अल सल्वाडोर (6,000 बिटकॉइन) से दोगुनी और कई विकसित देशों से भी अधिक है।
दुनिया का पहला क्रिप्टो-फ्रेंडली टूरिज्म मॉडल
इस साल भूटान ने एक और बड़ा कदम उठाया। उसने दुनिया की प्रमुख क्रिप्टो एक्सचेंज कंपनी बाइनेंस के साथ साझेदारी की और घोषणा की कि अब पर्यटक भूटान में क्रिप्टोकरेंसी के जरिए भुगतान कर सकते हैं। होटल बुकिंग, एयरलाइन टिकट, टूर गाइड की फीस – सब कुछ बिटकॉइन या अन्य क्रिप्टो करेंसी से खरीदा जा सकता है। इससे भूटान को दोहरा लाभ होगा: एक तरफ तो पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, दूसरी तरफ देश के क्रिप्टो भंडार में भी वृद्धि होगी।
भारत और भूटान: दो अलग दृष्टिकोण
जहां भूटान ने क्रिप्टोकरेंसी को अपनाकर नई आर्थिक संभावनाएं तलाशी हैं, वहीं भारत ने इस पर 30% टैक्स और 1% TDS लगाकर एक सख्त रुख अपनाया है। इसके परिणामस्वरूप भारत के कई क्रिप्टो निवेशक और उद्यमी देश छोड़कर विदेशों में बस गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भूटान का यह नवाचार भारत के लिए एक सबक हो सकता है।
भविष्य की राह
भूटान ने साबित कर दिया है कि छोटे देश भी सही रणनीति और नवाचार के बल पर वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी जगह बना सकते हैं। क्रिप्टोकरेंसी को अपनाकर इस हिमालयी राष्ट्र ने न केवल अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है, बल्कि दुनिया को यह भी दिखाया है कि प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग कैसे किया जा सकता है। अब देखना यह है कि भारत जैसे बड़े देश इससे क्या सीखते हैं और भविष्य में क्रिप्टोकरेंसी के प्रति अपना नजरिया बदलते हैं या नहीं।