वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में सुरक्षा और रक्षा प्रमुख मुद्दे बन चुके हैं। अमेरिका, रूस, इजराइल, तुर्की, ईरान और सऊदी अरब जैसे देश अपने सैन्य उपकरणों और सुरक्षा तंत्र पर भारी निवेश कर रहे हैं। ऐसे में, भारत ने भी अपने आकाशीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक बड़ी पहल की है—आई-स्टार (I-STAR) परियोजना। यह परियोजना भारत को एक उन्नत खुफिया और निगरानी प्रणाली प्रदान करेगी, जिससे दुश्मनों की गतिविधियों को हवा में ही पकड़ा जा सकेगा।
आई-स्टार क्या है?
आई-स्टार (I-STAR) का पूरा नाम इंटेलिजेंस, सर्विलांस, टार्गेट एक्विजिशन एंड रिकॉनिसेंस (Intelligence, Surveillance, Target Acquisition and Reconnaissance) है। यह एक एयरबोर्न (हवाई) निगरानी प्रणाली है, जिसे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य दुश्मनों की गतिविधियों पर रियल-टाइम नजर रखना, उनके लक्ष्यों की पहचान करना और युद्धक्षेत्र में सटीक हमले करने की क्षमता प्रदान करना है।
आई-स्टार की प्रमुख विशेषताएं
- 24/7 निगरानी क्षमता – यह प्रणाली दिन-रात और किसी भी मौसम में काम कर सकती है।
- मल्टी-स्पेक्ट्रल सेंसर्स – इसमें रडार, इंफ्रारेड और हाई-रिजॉल्यूशन कैमरों का उपयोग किया जाता है।
- लंबी दूरी की ट्रैकिंग – दुश्मन के विमानों, ड्रोन और जमीनी लक्ष्यों को लंबी दूरी से पहचान सकता है।
- रियल-टाइम डेटा एनालिसिस – युद्ध के मैदान में त्वरित निर्णय लेने में मदद करता है।
- स्वदेशी तकनीक – DRDO और भारतीय कंपनियों (जैसे TATA, L&T, BEL) द्वारा विकसित।
भारत के लिए आई-स्टार क्यों जरूरी है?
- सीमा सुरक्षा को मजबूती – चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की गतिविधियों पर नजर रखने में मदद मिलेगी।
- आतंकवाद और घुसपैठ पर नियंत्रण – सीमा पार से होने वाले आतंकी हमलों को पहले ही रोका जा सकेगा।
- युद्ध क्षमता में वृद्धि – सटीक टार्गेटिंग से भारतीय सेना की मारक क्षमता बढ़ेगी।
- वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति मजबूत होगी – अभी तक केवल अमेरिका, इजराइल और ब्रिटेन जैसे देशों के पास ही ऐसी तकनीक है।
- मेक इन इंडिया को बढ़ावा – इस परियोजना से भारतीय रक्षा उद्योग को बड़ा बूस्ट मिलेगा।
कैसे काम करेगा आई-स्टार?
- इंटेलिजेंस कलेक्शन – विमान में लगे सेंसर्स दुश्मन के रेडियो संचार, रडार सिग्नल और अन्य डेटा को इकट्ठा करेंगे।
- सर्विलांस – यह ऊंचाई से दुश्मन के इलाकों की निगरानी करेगा।
- टार्गेट एक्विजिशन – दुश्मन के हथियार डिपो, सैन्य ठिकानों और गतिविधियों को चिह्नित करेगा।
- रिकॉनिसेंस – युद्ध से पहले दुश्मन के क्षेत्र का डिजिटल मैप तैयार करेगा।
निष्कर्ष
आई-स्टार परियोजना भारत की रक्षा क्षमताओं में एक बड़ा कदम है। यह न केवल भारत को आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत को एक सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित करेगी। 10,000 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट से भारत की सुरक्षा और तकनीकी क्षमता दोनों ही मजबूत होंगी।
