भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अमेरिकी ट्रेडिंग फर्म जेनस्ट्रीट कैपिटल पर ₹25,000 करोड़ से अधिक के स्टॉक मार्केट हेराफेरी के गंभीर आरोप लगाए हैं। यह राशि विजय माल्या, नीरव मोदी और केतन पारेख द्वारा कथित तौर पर किए गए घोटालों की कुल राशि से भी अधिक है।
घोटाले की मुख्य बातें
- आरोप: इंडेक्स और स्टॉक मार्केट में जानबूझकर हेराफेरी
- कथित लाभ: 2024 में अकेले ₹25,000 करोड़ का अवैध मुनाफा
- सेबी की कार्रवाई: ₹4,844 करोड़ की जब्ती और भारत में कारोबार पर प्रतिबंध
घोटाले का तरीका
हेज फंड अध्यक्ष मयंक बंसल के अनुसार जेनस्ट्रीट ने दो चरणों में हेराफेरी की:
- इंडेक्स नियंत्रण: कैश और फ्यूचर मार्केट में बड़ी पोजीशन लेकर एक्सपायरी के दिनों में इंडेक्स को प्रभावित किया
- शॉर्ट सेलिंग: इंडेक्स बढ़ने पर शॉर्ट ऑप्शन पोजीशन (लॉन्ग पुट और शॉर्ट कॉल) लेकर भारी मुनाफा कमाया
सेबी की जांच के प्रमुख बिंदु
- 105 पन्नों के आदेश में विस्तृत आरोप
- बैंक निफ्टी को कृत्रिम रूप से प्रभावित करने का आरोप
- रिटेल निवेशकों को गुमराह करने का प्रयास
- जुलाई 2023 से शुरू हुई 2 साल की अवधि की जांच
घोटाले का प्रभाव
- भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों के विश्वास को झटका
- विनियामक प्रणाली की प्रभावशीलता पर सवाल
- अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए चेतावनी
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निष्कर्ष: यह मामला भारतीय पूंजी बाजार के लिए एक गंभीर चेतावनी है। सेबी की कड़ी कार्रवाई से बाजार में पारदर्शिता बनाए रखने का संदेश मिलता है, लेकिन इस घोटाले के पैमाने ने नियामक प्रणाली में संभावित कमियों को उजागर किया है। आने वाले समय में और सख्त नियमों और निगरानी की आवश्यकता होगी।