भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने हाल ही में ₹25,000 करोड़ का क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) लॉन्च किया, जो तीन से चार गुना ओवरसब्सक्राइब हुआ। इस कदम ने न केवल निवेशकों का ध्यान खींचा, बल्कि बैंकिंग सेक्टर में भी एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। आइए, विस्तार से समझते हैं कि SBI ने यह QIP क्यों लॉन्च किया, इसमें किसने निवेश किया, इसका बैंक और पूरे बैंकिंग सेक्टर पर क्या प्रभाव पड़ेगा, और यह कदम क्यों महत्वपूर्ण है।
क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) क्या है?
QIP एक तेज और प्रभावी तरीका है, जिसके जरिए सूचीबद्ध कंपनियां संस्थागत निवेशकों से पूंजी जुटाती हैं। इसमें शेयर सीधे योग्य संस्थागत खरीदारों (Qualified Institutional Buyers) जैसे LIC, म्यूच्यूल फंड्स, और विदेशी निवेशकों को बेचे जाते हैं। QIP की खासियत यह है कि यह प्रक्रिया तेज होती है, इसमें शेयरों का डायल्यूशन सीमित रहता है, और पब्लिक इश्यू की तुलना में कानूनी जटिलताएँ कम होती हैं। यह पूंजी जुटाने का एक लागत-प्रभावी और कुशल तरीका है, जिसे SBI ने इस बार चुना।
SBI के QIP का अवलोकन
SBI ने 16 जुलाई 2025 को ₹25,000 करोड़ का QIP लॉन्च किया, जो भारत में अब तक का सबसे बड़ा QIP है। इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- फ्लोर प्राइस: ₹811.05 प्रति शेयर, जो पिछले दिन की क्लोजिंग प्राइस ₹831.55 से 2.46% डिस्काउंट पर था।
- सब्सक्रिप्शन: QIP को तीन से चार गुना ओवरसब्सक्राइब किया गया, जिसमें ₹75,000 करोड़ से लेकर ₹1 लाख करोड़ तक की बोलियाँ प्राप्त हुईं।
- निवेशक: लगभग 120 संस्थागत निवेशकों ने भाग लिया, जिसमें डोमेस्टिक और विदेशी निवेशक शामिल थे।
- पिछला QIP: SBI ने आखिरी बार 2017 में ₹15,000 करोड़ का QIP लॉन्च किया था।
यह QIP SBI के लिए एक रणनीतिक कदम है, जिसका उद्देश्य बैंक की पूंजी को मजबूत करना और भविष्य की वृद्धि को समर्थन देना है।
QIP में किसने निवेश किया?
SBI के QIP में डोमेस्टिक और विदेशी निवेशकों ने जबरदस्त रुचि दिखाई। प्रमुख निवेशकों में शामिल हैं:
- डोमेस्टिक निवेशक:
- लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (LIC): ₹7,000 करोड़ की बोली।
- क्वांट म्यूच्यूल फंड: ₹3,000 करोड़।
- HDFC पेंशन फंड: ₹2,000 करोड़।
- ICICI प्रूडेंशियल म्यूच्यूल फंड, मोतीलाल ओसवाल म्यूच्यूल फंड, और आदित्य बिरला म्यूच्यूल फंड: प्रत्येक ने लगभग ₹1,500 करोड़ की बोली लगाई।
- विदेशी निवेशक:
- नोमुरा: ₹1,800 करोड़।
- मार्शल वेस और मिलेनियम: प्रत्येक ने ₹1,500 करोड़।
- ब्लैकरॉक: अन्य प्रमुख वैश्विक निवेशकों में शामिल।
इन निवेशकों की भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि SBI में निवेशकों का भरोसा मजबूत है, जो बैंक की दीर्घकालिक वृद्धि की संभावनाओं को दर्शाता है।
SBI ने QIP क्यों लॉन्च किया?
SBI का यह QIP कई रणनीतिक कारणों से लॉन्च किया गया:
- कॉमन इक्विटी टियर-1 (CET-1) रेशियो को मजबूत करना: मार्च 2025 तक SBI का CET-1 रेशियो 10.81% था, जो अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की तुलना में कम था। इस QIP से यह रेशियो 60 बेसिस पॉइंट्स बढ़कर लगभग 11.4% तक पहुँचने की उम्मीद है।
- लोन ग्रोथ को समर्थन: SBI ने अगले कुछ वर्षों में 12-13% की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) के साथ लोन वृद्धि की योजना बनाई है। इस QIP से प्राप्त पूंजी इस विस्तार को समर्थन देगी।
- नियामक आवश्यकताओं को पूरा करना: बैंक को बासेल III नियमों के तहत पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CAR) को बनाए रखने की आवश्यकता है। यह QIP इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा।
- बैलेंस शीट को मजबूत करना: ₹60 लाख करोड़ से अधिक की संपत्ति के साथ, SBI को अपनी बैलेंस शीट को और मजबूत करने के लिए पूंजी की आवश्यकता है।
QIP का बैंकिंग सेक्टर पर प्रभाव
SBI का यह QIP न केवल बैंक के लिए, बल्कि पूरे बैंकिंग सेक्टर के लिए महत्वपूर्ण है। इसके प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं:
- बैंकिंग सेक्टर में पूंजी जुटाने का नया कीर्तिमान: ₹25,000 करोड़ का QIP भारत में अब तक का सबसे बड़ा QIP है, जो कोल इंडिया के 2015 के ₹22,560 करोड़ के रिकॉर्ड को तोड़ता है। यह अन्य बैंकों के लिए भी बड़े पैमाने पर पूंजी जुटाने का एक उदाहरण स्थापित करता है।
- निवेशक विश्वास में वृद्धि: तीन से चार गुना ओवरसब्सक्रिप्शन से पता चलता है कि डोमेस्टिक और वैश्विक निवेशक भारतीय बैंकिंग सेक्टर, विशेष रूप से SBI, में मजबूत विश्वास रखते हैं।
- लोन ग्रोथ और आर्थिक विकास: QIP से प्राप्त पूंजी SBI को लोन विस्तार में मदद करेगी, जो छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs), रिटेल, और कॉरपोरेट सेक्टर में ऋण मांग को पूरा करेगा। यह भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देगा।
- प्रतिस्पर्धी स्थिति में सुधार: मजबूत CET-1 रेशियो के साथ, SBI निजी क्षेत्र के बैंकों के साथ प्रतिस्पर्धा में अपनी स्थिति को और मजबूत करेगा।
QIP के प्रबंधन के लिए चुने गए बैंक
SBI ने इस QIP को प्रबंधित करने के लिए छह प्रमुख निवेश बैंकों को नियुक्त किया, जिनमें शामिल हैं:
- सिटीग्रुप ग्लोबल मार्केट्स
- HSBC सिक्योरिटीज
- ICICI सिक्योरिटीज
- कोटक इन्वेस्टमेंट बैंकिंग
- मॉर्गन स्टेनली इंडिया
- SBI कैपिटल मार्केट्स
इन बैंकों ने इस हाई-प्रोफाइल डील के लिए केवल ₹1 की नाममात्र बुकिंग फी ली, जो इस तरह के बड़े सौदों में सामान्य प्रथा है। यह पहले भी 2017 के SBI QIP और 2020 के LIC IPO में देखा गया था। यह कदम इन बैंकों के लिए प्रतिष्ठा और लीग टेबल में स्थान प्राप्त करने का अवसर है।
शेयर बाजार पर प्रभाव
QIP की घोषणा के बाद SBI का शेयर मूल्य स्थिर रहा और 17 जुलाई 2025 को ₹835.75 पर बंद हुआ। इंट्राडे में शेयर में 2% की उछाल देखी गई, और यह ₹840.50 के उच्च स्तर तक पहुँचा। यह स्थिरता और वृद्धि निवेशकों के मजबूत विश्वास को दर्शाती है। QIP के परिणामस्वरूप सरकार की हिस्सेदारी 57.43% से घटकर लगभग 55.02% हो जाएगी, क्योंकि लगभग 308.2 मिलियन नए शेयर जारी किए जाएंगे।
SBI का ₹25,000 करोड़ का QIP न केवल बैंक के लिए, बल्कि पूरे भारतीय बैंकिंग सेक्टर के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। यह QIP बैंक की पूंजी को मजबूत करने, लोन वृद्धि को समर्थन देने, और नियामक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। तीन से चार गुना ओवरसब्सक्रिप्शन और LIC, म्यूच्यूल फंड्स, और वैश्विक निवेशकों की भागीदारी से यह स्पष्ट है कि SBI में निवेशकों का विश्वास अटूट है। यह कदम भारतीय बैंकिंग सेक्टर में पारदर्शिता, पूंजी जुटाने की क्षमता, और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
