संभल, उत्तर प्रदेश, एक ऐसा क्षेत्र जो हाल ही में कई कारणों से सुर्खियों में रहा, अब एक और बड़े खुलासे का गवाह बना। 2020 बैच की आईपीएस अधिकारी अनुकृति शर्मा ने 100 करोड़ रुपये से अधिक के बीमा घोटाले का पर्दाफाश किया। यह कहानी न केवल एक पुलिस अधिकारी की सूझबूझ और मेहनत को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि अपराधी कितने शातिर तरीके से समाज के सबसे कमजोर तबके को निशाना बनाते हैं। यह लेख उस रोमांचक जांच की कहानी है, जो एक रात के कोहरे से शुरू हुई और एक विशाल आपराधिक नेटवर्क को उजागर करने तक पहुंची।
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शुरुआत: कोहरे में छिपा राज
जनवरी की एक सर्द रात में, जब घना कोहरा संभल की सड़कों को ढक रहा था, अनुकृति शर्मा, जो उस समय अपर पुलिस अधीक्षक (दक्षिणी संभल) थीं, कार चोरी की घटनाओं की जांच कर रही थीं। बहजोई और गुनौर क्षेत्र में चोरों का एक पैटर्न दिख रहा था—एक कार आती थी, चोरी होती थी, और फिर दो कारें एक साथ जाती दिखती थीं। उस रात, जब अनुकृति थाने से घर की ओर जा रही थीं, दो गाड़ियां—एक स्कॉर्पियो और एक ईको—ने उनकी गाड़ी को ओवरटेक किया। कोहरे के बावजूद उनकी तेज रफ्तार और दिल्ली का नंबर प्लेट संदेहास्पद लगा।
हूटर बजाने के बावजूद गाड़ियों की स्पीड बढ़ने पर अनुकृति का शक और गहरा गया। उन्होंने तुरंत एसएओ रजपुरा को सूचित किया, जिन्होंने एक ट्रक को सड़क पर हॉरिजॉन्टली खड़ा कर रास्ता ब्लॉक कर दिया। स्कॉर्पियो को रोक लिया गया, लेकिन ईको भाग निकली। स्कॉर्पियो से दो अभियुक्त, ओमकारेश्वर मिश्रा और अमित, पकड़े गए। पूछताछ में उनके जवाब अस्पष्ट थे, और उनकी गाड़ी से 11 लाख रुपये नकद, 15 डेबिट कार्ड, और दो आईडी कार्ड बरामद हुए, जिनमें ओमकारेश्वर का डेजिग्नेशन “इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर” लिखा था।
घोटाले का खुलासा: एक शातिर नेटवर्क
पकड़े गए अभियुक्तों के फोन में लाखों फोटो और 300 से अधिक दस्तावेज मिले। इनमें आधार कार्ड, पैन कार्ड, बीमा पॉलिसी के कागजात, और कैंसर जैसे गंभीर रोगों के इलाज के दस्तावेज शामिल थे। जांच में पता चला कि यह गैंग गरीब और कम पढ़े-लिखे लोगों को निशाना बनाता था, खासकर उनको जिनकी उम्र कम बची थी। ये लोग धोखे से उनके आधार और पैन कार्ड लेते, फर्जी खाते खोलते, और बीमा पॉलिसी बनाते। फिर, फर्जी दस्तावेजों और मृत्यु प्रमाण पत्रों के जरिए क्लेम हासिल कर लेते।
एक चौंकाने वाला मामला त्रिलोक नाम के व्यक्ति का था, जिसके दस्तावेजों में दिखाया गया कि वह जून 2024 में कैंसर से मर चुका था, लेकिन दिसंबर 2024 में उसका ईसीजी और दूसरा मृत्यु प्रमाण पत्र भी मिला। इस तरह, एक ही व्यक्ति को कागजों में कई बार मृत दिखाकर लाखों रुपये का क्लेम लिया गया।
मर्डर का एंगल: क्रूरता की हद
जांच आगे बढ़ने पर पता चला कि यह गैंग केवल फर्जी दस्तावेजों तक सीमित नहीं था। गुजरात से आए एक बीमा कंपनी के इन्वेस्टिगेटर ने अनुकृति को दरियाब नाम के एक विकलांग व्यक्ति के मामले की ओर ध्यान दिलाया। दरियाब की कथित तौर पर अज्ञात वाहन से टक्कर में मृत्यु हुई थी, लेकिन उसकी डेड बॉडी उसके गांव से 27 किलोमीटर दूर मिली। एक गंभीर रूप से विकलांग व्यक्ति का इतनी दूर पैदल जाना असंभव था। जांच में पता चला कि उसकी पांच पॉलिसी, कुल 58 लाख रुपये की, हाल ही में बनाई गई थीं।
इसके अलावा, अमरोहा में दो हत्याओं का खुलासा हुआ। एक गैंग ने सलीम (2022) और अमन (2023) नाम के व्यक्तियों की हत्या कर उनके बीमा के पैसे हड़पे। इन हत्याओं को अज्ञात वाहन से एक्सीडेंट का रूप दिया गया था। तीसरी हत्या की साजिश भी पकड़ी गई, जिसमें एक अनाथ बच्चे को निशाना बनाया गया था।
नेक्सेस: एक संगठित अपराध
इस घोटाले का नेटवर्क, जिसे अपराधी “नेक्सेस” कहते थे, कई स्तरों पर काम करता था:
- आशा वर्कर और प्रधान: ये लोग गांव में उन व्यक्तियों की पहचान करते थे जो गंभीर रूप से बीमार थे या जिनके बचने की संभावना कम थी।
- बीमा एजेंट: धोखे से दस्तावेज इकट्ठा कर फर्जी पॉलिसी बनाते थे।
- बैंक मैनेजर: फर्जी खाते खोलने और पैसे निकालने में मदद करते थे।
- इन्वेस्टिगेशन एजेंसियां: फर्जी क्लेम को मंजूरी देने के लिए गलत रिपोर्ट बनाती थीं।
- ग्राम सचिव: फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करते थे।
इस नेटवर्क ने गरीब और अशिक्षित लोगों को निशाना बनाया, जिन्हें यह भी नहीं पता था कि उनके नाम पर बीमा पॉलिसी बनाई गई है। उदाहरण के लिए, सुनीता नाम की एक महिला को पता ही नहीं था कि उसके पति के नाम पर 10.5 लाख रुपये की पॉलिसी थी।
पीएम जीवन ज्योति योजना में धोखाधड़ी
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना (पीएमजेजेवाई), जिसका उद्देश्य गरीबों को कम प्रीमियम पर बीमा देना है, इस गैंग का आसान निशाना बनी। फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्रों के जरिए ये लोग पहले मरे हुए व्यक्तियों के नाम पर पॉलिसी बनाते और फिर क्लेम हासिल करते। इस योजना में जांच की प्रक्रिया सरल होने के कारण धोखाधड़ी आसान थी।
पुलिस की कार्रवाई: 60 से अधिक गिरफ्तारियां
संभल पुलिस ने इस मामले में 60 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें आशा वर्कर, प्रधान, बीमा एजेंट, बैंक मैनेजर, और इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के मालिक शामिल थे। तीन लोगों ने सरेंडर किया, और जांच अभी भी जारी है। 250 से अधिक पासबुक, डेबिट कार्ड, और आधार कार्ड बरामद किए गए, जो 12 राज्यों में फैले इस नेटवर्क की विशालता को दर्शाते हैं।
भावनात्मक प्रभाव: अपराध की गहराई
अनुकृति शर्मा का कहना है कि यह केस उन्हें भावनात्मक रूप से झकझोर गया। अपराधी न केवल गरीबों को लूट रहे थे, बल्कि हत्या जैसे जघन्य अपराध भी कर रहे थे, बिना किसी पछतावे के। एक अपराधी ने तो यह भी कहा कि वे “गलत में जायज” काम करते हैं। इस केस ने यह साबित किया कि पैसों के लिए इंसान किसी भी हद तक गिर सकता है।
भविष्य के लिए कदम: राष्ट्रीय कॉन्क्लेव
इस घोटाले को रोकने के लिए संभल पुलिस ने 30 जून 2025 को एक राष्ट्रीय कॉन्क्लेव का आयोजन किया, जिसमें बीमा कंपनियों, वित्त मंत्रालय, और आईआरडीए के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस कॉन्फ्रेंस में फ्रॉड रोकने के लिए सुधारों पर चर्चा हुई, जैसे बीमा कंपनियों और बैंकों में सख्त केवाईसी प्रक्रिया और बेहतर निगरानी।
अनुकृति शर्मा: एक प्रेरणादायक यात्रा
अनुकृति शर्मा ने बताया कि वे मूल रूप से साइंस स्टूडेंट थीं और अमेरिका में पीएचडी कर रही थीं। लेकिन देश सेवा की इच्छा ने उन्हें और उनके पति को सिविल सेवा की ओर प्रेरित किया। कई प्रयासों के बाद, 2020 में वे आईपीएस बनीं। उनका मानना है कि यह सेवा उन्हें समाज के सबसे वंचित लोगों के लिए काम करने का मौका देती है।
सतर्कता ही बचाव
अनुकृति की कहानी न केवल एक पुलिस अधिकारी की मेहनत और साहस की गाथा है, बल्कि यह भी एक चेतावनी है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपने आधार, पैन, और दस्तावेजों को साझा करने में सावधानी बरतें। सरकारी जागरूकता अभियानों पर ध्यान दें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि को तुरंत रिपोर्ट करें। यह घोटाला हमें सिखाता है कि सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है।