भारत ने सेमीकंडक्टर की दुनिया में एक बड़ा कदम उठाया है। देश ने अपना पहला स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर ‘विक्रम 3201’ तैयार कर लिया है, जो आत्मनिर्भर भारत के सपने को और करीब लाता है। इसरो की सेमी-कंडक्टर प्रयोगशाला (एससीएल) ने इस चिप को बनाया है, जो अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र में गेम-चेंजर साबित हो सकता है। सेमीकॉन इंडिया 2025 में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह चिप सौंपी। आइए जानते हैं इसकी खासियतें और भारत के लिए इसका क्या मतलब है।
विक्रम: भारत का पहला स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर
भारत ने न सिर्फ अपना पहला 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर ‘विक्रम 3201’ विकसित किया, बल्कि पहली ‘मेड इन इंडिया’ टेस्ट चिप भी तैयार की है। यह उपलब्धि भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर हब बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर है। सेमीकॉन इंडिया 2025 के मंच पर केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पीएम मोदी को इस चिप के साथ-साथ चार स्वीकृत परियोजनाओं की टेस्ट चिप्स भी सौंपीं।

इसरो की सेमी-कंडक्टर लैब ने रचा इतिहास
‘विक्रम’ माइक्रोप्रोसेसर को इसरो की सेमी-कंडक्टर प्रयोगशाला (एससीएल) ने डिजाइन और विकसित किया है। यह चिप भारत की विदेशी चिप्स पर निर्भरता को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अभी तक भारत को ज्यादातर चिप्स आयात करने पड़ते थे, लेकिन ‘विक्रम’ के साथ भारत ने अपनी तकनीकी ताकत का लोहा मनवाया है। यह चिप न केवल आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी, बल्कि भारत को वैश्विक टेक्नोलॉजी बाजार में एक मजबूत खिलाड़ी बनाएगी।
‘विक्रम’ की खासियतें क्या हैं?
‘विक्रम’ 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर को खास तौर पर अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र के लिए डिजाइन किया गया है। यह चिप प्रक्षेपण यानों (रॉकेट्स) के नेविगेशन और नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। अंतरिक्ष की कठिन परिस्थितियों में काम करने के लिए बनाई गई यह चिप अत्यधिक विश्वसनीय है। 32-बिट प्रोसेसिंग की मदद से यह डेटा को तेजी से प्रोसेस करती है, जो रक्षा और अंतरिक्ष मिशनों में गति और सटीकता लाएगी। कम्प्यूटर में डेटा को मापने की सबसे छोटी इकाई ‘बिट’ होती है, और यह चिप इस डेटा को कुशलता से संभालने में सक्षम है।
दुनिया अब भारत की ओर देख रही है: अश्विनी वैष्णव
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “कुछ साल पहले पीएम मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में शुरू हुआ भारत सेमीकंडक्टर मिशन आज अपनी मंजिल की ओर तेजी से बढ़ रहा है। महज 3.5 साल में दुनिया भारत को एक भरोसेमंद सेमीकंडक्टर हब के रूप में देख रही है।” उन्होंने बताया कि देश में पांच सेमीकंडक्टर यूनिट्स का निर्माण तेजी से चल रहा है। इसके अलावा, सरकार ने हाई वॉल्यूम फैब्रिकेशन यूनिट्स, 3डी हेटेरोजीनियस पैकेजिंग जैसी 10 परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
साथ ही, 280 से ज्यादा शैक्षणिक संस्थानों और 72 स्टार्टअप्स को उन्नत उपकरणों के साथ समर्थन दिया गया है। डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (डीएलआई) योजना के तहत 23 स्टार्टअप्स को मंजूरी मिली है, जो भारत के सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को और मजबूत करेंगे।
भारत के लिए क्यों है ये खास?
‘विक्रम’ माइक्रोप्रोसेसर भारत की तकनीकी स्वतंत्रता की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह न केवल रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की क्षमताओं को बढ़ाएगा, बल्कि वैश्विक टेक्नोलॉजी मार्केट में भारत की हिस्सेदारी को भी मजबूत करेगा। सेमीकॉन इंडिया 2025 जैसे आयोजनों से भारत अपनी तकनीकी प्रगति को दुनिया के सामने ला रहा है।
