यूरोप में न्यूक्लियर तनाव का नया दौर
हाल ही में यूरोप में एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी है। कई विश्लेषकों का दावा है कि अमेरिका ने चुपके से अपने न्यूक्लियर हथियार ब्रिटेन में तैनात किए हैं। हालांकि, न तो अमेरिका और न ही ब्रिटेन ने इसकी आधिकारिक पुष्टि की है, लेकिन परिस्थितिजन्य साक्ष्य और विश्लेषकों की रिपोर्ट्स इस दिशा में इशारा कर रही हैं। यह खबर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कोल्ड वॉर के दौर की याद दिलाती है, जब ब्रिटेन अमेरिकी न्यूक्लियर हथियारों के लिए एक प्रमुख मेजबान देश के रूप में काम करता था। क्या यह स्थिति फिर से बन रही है? क्या रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव इतने गहरे हैं कि वैश्विक स्तर पर न्यूक्लियर तनाव बढ़ रहा है? आइए इस मुद्दे को विस्तार से समझते हैं।
C17A ग्लोबमास्टर और लेकन हीथ एयरबेस की गतिविधियां
18 जुलाई 2025 को एक महत्वपूर्ण घटना सामने आई, जब एक C17A ग्लोबमास्टर विमान को ब्रिटेन के लेकन हीथ एयरबेस पर उतरते देखा गया। यह एयरबेस अमेरिकी कमांड के अधीन है और कोल्ड वॉर के बाद से यह लगभग निष्क्रिय था। हालांकि, 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से इस एयरबेस पर गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं। ओपन-सोर्स फ्लाइट ट्रैकर्स के अनुसार, यह C17A ग्लोबमास्टर न्यू मैक्सिको के कर्टलैंड एयरफोर्स बेस से आया था, जो अमेरिका का न्यूक्लियर हथियार केंद्र है। इस विमान को पेगासस टैंकरों ने मिड-एयर रिफ्यूलिंग के दौरान एस्कॉर्ट किया, जो उच्च सुरक्षा की ओर इशारा करता है। कार्गो का स्वरूप अज्ञात बताया गया, लेकिन परिवहन प्रक्रिया और सुरक्षा प्रोटोकॉल न्यूक्लियर हथियारों की तैनाती के मानकों के अनुरूप थे।
न्यूक्लियर हथियारों की तैनाती का परिस्थितिजन्य साक्ष्य
विश्लेषकों ने कई परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर दावा किया है कि इस तैनाती में B61-12 थर्मोन्यूक्लियर बम शामिल हैं, जो अमेरिका का नवीनतम टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियार है। इसे F-35A लाइटनिंग II जैसे प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है। सबसे खास बात यह है कि यह विमान केवल एकतरफा डिलीवरी के लिए आया और वापस चला गया, जो सामान्य कार्गो परिवहन से अलग है। इसके अलावा, इस परिवहन में 62वें एयरलिफ्ट विंग की C17 यूनिट शामिल थी, जो विशेष रूप से न्यूक्लियर हथियारों के परिवहन के लिए प्रमाणित है। ये साक्ष्य इस बात को पुख्ता करते हैं कि अमेरिका ने ब्रिटेन में न्यूक्लियर हथियार तैनात किए हैं।
कोल्ड वॉर की यादें और ब्रिटेन की भूमिका
कोल्ड वॉर के दौरान, ब्रिटेन अमेरिकी न्यूक्लियर हथियारों के लिए एक प्रमुख मेजबान देश था। उस समय, ब्रिटेन की धरती को न्यूक्लियर डिटरेंस के लिए एक बेस के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। 2008 तक, अमेरिका ने अपने न्यूक्लियर हथियार ब्रिटेन से हटा लिए थे, क्योंकि कोल्ड वॉर समाप्त हो चुका था और न्यूक्लियर डिटरेंस की आवश्यकता कम हो गई थी। लेकिन 2022 के बाद से, रूस और नाटो के बीच बढ़ते तनाव ने फिर से इस स्थिति को जन्म दिया है। अमेरिकी फंडिंग दस्तावेजों के अनुसार, लाखों डॉलर लेकन हीथ एयरबेस के उन्नयन के लिए आवंटित किए गए हैं, जो न्यूक्लियर तैनाती की तैयारी का संकेत है।
रूस और नाटो के बीच बढ़ता तनाव
रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य को बदल दिया है। रूस ने खुलेआम न्यूक्लियर हथियारों की धमकी दी है, और बेलारूस रूसी न्यूक्लियर हथियारों की मेजबानी कर रहा है। दूसरी ओर, पोलैंड ने न्यूक्लियर शेयरिंग की बात की है। इस बीच, अमेरिका की ओर से ब्रिटेन में न्यूक्लियर हथियारों की तैनाती नाटो की रणनीति में बड़े बदलाव का संकेत देती है। यह स्थिति यूरोप में सुरक्षा के लिए नए खतरे पैदा कर सकती है, क्योंकि दोनों पक्षों की ओर से न्यूक्लियर हथियारों की तैनाती बढ़ रही है।
ब्रिटेन की संप्रभुता पर सवाल
इस तैनाती ने ब्रिटेन में कई सवाल खड़े किए हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या ब्रिटेन को इस तैनाती पर कोई नियंत्रण है? ब्रिटेन स्वयं एक न्यूक्लियर शक्ति है, जिसके पास ट्राइडेंट मिसाइलें हैं, लेकिन ये हथियार अमेरिकी हैं। क्या ब्रिटेन इन हथियारों के उपयोग पर वीटो कर सकता है? इस तैनाती पर न तो ब्रिटिश संसद में चर्चा हुई, न ही जनता को सूचित किया गया। यह निर्णय पूरी तरह से गोपनीय रूप से लिया गया, जिसने ब्रिटेन की संप्रभुता पर सवाल उठाए हैं।
इस तैनाती ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। अगर यह खबर सही है, तो यह न केवल यूरोप के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर स्थिति है। रूस और नाटो के बीच बढ़ता तनाव, न्यूक्लियर हथियारों की तैनाती, और गोपनीय निर्णय प्रक्रिया यह दर्शाती है कि वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। क्या यह कोल्ड वॉर की वापसी है, या इससे भी बड़ा खतरा सामने आ रहा है? ब्रिटेन और अमेरिका को इस पर जवाब देना होगा, क्योंकि यह केवल उनकी नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की सुरक्षा का सवाल है।
