समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बार फिर चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने 18,000 शपथपत्रों में से सिर्फ 14 मामलों पर दी गई सफाई को आधा-अधूरा और बेबुनियाद बताया है। साथ ही, बाकी 17,986 मामलों का हिसाब मांगते हुए योगी सरकार पर भी स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली और भ्रष्टाचार को लेकर निशाना साधा है।
चुनाव आयोग पर अखिलेश का हमला
लखनऊ से सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग, जिलाधिकारी, सीओ से लेकर लेखपाल तक, सभी ने मिलकर सिर्फ 14 शपथपत्रों पर आधी-अधूरी सफाई दी है। अखिलेश ने सवाल उठाया कि बाकी 17,986 शपथपत्रों का क्या हुआ? उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समुदाय के वोटों को या तो कटवाया या कुछ समय के लिए हटवाया, जिससे उनका वोटिंग का हक छीना गया। अखिलेश ने चेतावनी दी कि अब पीडीए समाज इसका जवाब देगा।
योगी सरकार पर भी साधा निशाना
चुनाव आयोग के साथ-साथ अखिलेश ने योगी सरकार को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं और भ्रष्टाचार चरम पर है। इसका नतीजा यह है कि लोगों की जान जा रही है। लखनऊ समेत प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और जरूरी सुविधाओं की भारी कमी है। अखिलेश ने अयोध्या का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां एक बच्चे की मौत सिर्फ इसलिए हो गई क्योंकि उसे समय पर बेड और ऑक्सीजन नहीं मिल सका। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री से इस मामले में पीड़ित परिवार को मुआवजा देकर जिम्मेदारी लेने की बात कही।
क्या है शपथपत्र विवाद
अखिलेश यादव ने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में मतदाता सूची में अनियमितताओं का आरोप लगाया था। उनकी पार्टी ने इसके खिलाफ 18,000 शपथपत्र जमा किए थे, लेकिन उनका दावा है कि चुनाव आयोग ने इन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। हाल ही में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा था कि आयोग को उत्तर प्रदेश से कोई शपथपत्र नहीं मिले, जिसके जवाब में अखिलेश ने डिजिटल रसीदें दिखाकर आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए।
अखिलेश यादव का यह हमला न सिर्फ चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि योगी सरकार की कमियों को भी उजागर करता है। 17,986 शपथपत्रों का हिसाब मांगकर उन्होंने एक बार फिर पीडीए समाज को लामबंद करने की कोशिश की है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और गरमा सकता है।