आटेव संघ के पदाधिकारियों को BJP सरकार ने किया नजर बंद : ये कैसा लोकतंत्र है

चुनाव पर्व देश का पर्व है बस कहने मात्र से नहीं हो जाता जिसमें नागरिक और मतदाता अपने चुने हुए जनप्रतिनिधियो से अपनी बात न कह पाए कैसा लोकतंत्र? कैसा चुनाव है? सरकार का काम लोगों की समस्याओं को सुनना उसको हल करना न कि अपनी समस्या कहने वाले को नजरबंद कर दीजिए यह तो लोकतंत्र के साथ घटिया मजाक है !! फर्रुखाबाद में इसका नजारा देखने को मिला अटेवा के जिला संयोजक नरेन्द्र जी सहित तमाम पदाधिकारियो को जो जहां मिला वही नजरबंद कर दिया गया और सरकार कहती है जनता के लिए द्वारा 24 घंटे खुले हैं किधर से खोलते हैं, कहां खुलते हैं यह बताने का भी कष्ट करे सरकार। हां, एक दूसरी बात जो प्रमाणित होती है कि शिक्षको कर्मचारियों की लड़ाई सिर्फ अटेवा लड़ रहा है उसके सहयोगी संगठन लड़ रहे है बाकी संगठन सरकार की जयकार जयकार मे लगे है इसीलिए उन्हें परेशान नहीं किया जाता। यह बात NPS कमी जितनी जल्दी समझ जाएं उतना बेहतर है। कई संगठनों ने तो खुल्लम खुल्ला आपके बुढ़ापे की लाठी को सरकार के कदमों में गिरवी रख दिया है अभी आप आँख नहीं खुलेगी तो अंदाजा लगाइए बुढ़ापा कितना कष्टकारी होगा। मेरी सभी साथियों से अपील है इसका जवाब एक ही तरीके से दे वोट की चोट मारे। यही सबसे कारगर हथियार है मतदान करे - मुद्दों पर मतदान
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